जहां हर विभाग का चौकीदार रहता है इसके अलावा यहां सुरक्षा के लिए नगर सैनिक तैनात हैं जो परिसर सीसीटीवी कैमरों से लैस है,ऐसे शिवपुरी कलेक्टोरेट परिसर में शनिवार को हुए इस भीषण अग्रिकाण्ड को लेकर तमाम प्रश्र खड़े हो रहे हैं। प्रतीत होता है कि इस सारे षड़यंत्र के सूत्रधार कतिपय वे अधिकारी कर्मचारी और वे माफिया हो सकते हैं जो इस परिसर में रखे दस्तावेजों में कहीं न कहीं किसी घपले में संलिप्त हैं और दस्तावेजों को नष्ट कराकर वे सुरक्षित होने का जतन कर रहे हैं।
जिस अंदाज में यह अग्रिकाण्ड हुआ और जिस पेट्रोल बम सदृश्य युक्ति का इस्तेमाल दिखाई दे रहा है उससे यह कारनामा भाड़े के अपराधियों के मार्फत कराया प्रतीत हो रहा है।
विदित हो कि पास ही में भू अभिलेख कार्यालय है जहां पटवारी भर्ती सम्बंधी उनके तमाम रिकार्ड्स रखे हैं। और पटवारी भर्ती में बड़ा स्कैम पहले से ही चल रहा है संभवत: इस रिकार्ड को फूंकने का मंतव्य तो नहीं था। हालांकि अधीक्षक भू अभिलेख ललित कुमार की माने तो यह रिकार्ड सुरक्षित है, क्योंकि वह इस विंग से अलग था। भूमाफियाओं के हाथ को लेकर भी बड़े कयास लगाए जा रहे हैं। शहर के सत्ता पोषित कुछ भू माफियाओं के जमीन घोटाले की खबरें पिछले कुछ दिनों से सुर्खियां बनी हैं, जिन्होंने ककरवाया आदि स्थानों पर सरकारी भूमि के विक्रय में अहम रोल निभाया है जिसकी जांच भी की जा रही है। इसके अलावा भी इस समय शिवपुरी जमीनों की हेराफेरी में सुर्खियां बटोर रहा है। इस मायने में कोई ऐसा भूमाफिया भी इस वारदात के सूत्रधार के तौर पर सामने आ सकता है। अब सवाल यह कि क्या बदमाशों का टारगेट पूरा हुआ या फिर वे दिशा चूक गए? इस प्रश्र का जवाब तो अभी मिलना मुश्किल है क्योंकि प्रशासन खुद यह नहीं बता पा रहा कि आग में जला क्या है और बचा क्या है। यह सब तो फायलों जांच के बाद ही पता चल पाएगा। जांच के बाद भी नतीजे आऐंगे भी या नहीं कहना जल्दबाजी होगी।
षड़यंत्र में भाड़े के लोगों का अंदेशा, पूर्व में भी रिकार्ड रुम में जल चुकी है होली
- पटवारी भर्ती के रिकार्ड को टारगेट करने की कोशिश तो नहीं..
अब से साढ़े तीन साल पूर्व यहां तहसील के समीप स्थित रिकार्ड शाखा में अग्रिकाण्ड हो चुका है। ये सभी अग्रिकाण्ड अवकाश के दिनों में ही होते हैं। वह भी अवकाश में हुआ था और शनिवार को हुआ यह अग्रिकाण्ड भी अवकाश में हुआ। उस काण्ड की जांच के लिए तत्कालीन कलेक्टर ने जांच समिति के गठन का एलान किया था, जो जांच आज तक सामने नहीं आ पाई। उस समय तमाम राजस्व और भूमि सम्बंधी रिकार्ड जल कर खाक हो गया था। तब इसे इनवर्टर में हुए ब्लास्ट से जोड़ दिया गया था। उस समय सरकारी जमीनों में हुआ कालापीला इस कदर था कि तमाम अधिकारी सीधे सीधे जांच के दायरे में आ रहे थे मगर तब रिकार्ड शाखा में लगी आग से संभवत: उन्हें राहत मिली होगी। दफ्तरों में लगी आग से ठण्डक मिलने का नौकरशाही का यह खेल यूं तो सचिवालय तक में देखा जा सकता है। 18 मई को जो कुछ सीसीटीवी में सामने आया उसने तो यह साफ कर दिया कि मामला संगीन है, आग लगवाई गई है क्योंकि केवल आग लगाने के लिए कोई बिना बड़े उद्देश्य के इतना बड़ा जोखिम नहीं लेगा, सीधे सीधे यह काम भाड़े पर कराया गया काम प्रतीत होता है।