- माधव लेक, जाधव सागर, कर्बला से लेकर सख्या सागर तक पसरी कुम्भी
- पर्यटकों के साथ साथ प्रवासी पक्षी भी शिवपुरी से भाग रहे हैं दूर
जल कुम्भी पर वन विभाग के आला अधिकारियों की कुम्भकर्णी चुप्पी ने शिवपुरी से उसके अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मिले रामसर साईट के खिताब को छीनने की पूरी तैयारी कर ली है।
शिवपुरी के पर्यटन को जल स्त्रोतों में पनपती जल कुम्भी ने पलीता लगा डाला है। एपीसीसीएफ उत्तम शर्मा का कहना है कि पंजाब से मशीनें मंगाई जा रही हैं जिनसे सांख्य सागर चांदपाठा में फैली इस जल कुम्भी को हटाने का कार्य किया जाएगा। माधव राष्ट्रीय उद्यान के सहायक संचालक अनिल सोनी का कहना है कि एनजीओ के माध्यम से भी इस जल कुंभी के निवारण के लिए प्लानिंग की जा रही है।अब इन अधिकारियों के इन तर्कों के विरुद्ध देखें तो धरातल पर कुछ भी नहीं हो रहा है कोरे तर्क गढ़े जा रहे हैं, इसके ठीक उलट जल कुम्भी दिन दूनी रात चौगुनी गति से पैर पसार चुकी है।
यहां शिवपुरी के जाधव सागर, माधव लेक, सांख्य सागर सहित अधिकांश जल स्त्रोतों को पिछले दो साल से जल कुंभी ने जकड़ रखा है। पिछले डेढ़ साल में तो हालत यह बन गई कि यहां सांख्य सागर में बोटिंग तक बंद करना पड़ी थी। जल कुम्भी जिस तेजी से फैल रही है उसको देखते हुए कहना गलत न होगा कि आलम यही रहा तो पर्यटक शिवपुरी की ओर रुख करना भी पसंद नहीं करेंगे।
फिर तो नाम का रह जाएगा वेट लैण्ड
जल कुंभी की यह स्थिति तब है जब शिवपुरी की सांख्य सागर झील को अन्तर्राष्ट्रीय वेट लैण्ड में शुमार करते हुए रामसर साईट में स्थान दिया गया है। वन विभाग के आला अफसर इसे नगर के गंदे पानी की बहाव की देन मानते हैं तो पालिका को इस सम्बंध में कोई तर्क ही नहीं सूझ रहा। यहां का कर्बला नाला भी पूरी तरह से इस जल कुम्भी की भेंट चढ़ गया है।
संकट में जल जीव, प्रवासी पक्षियों ने भी मुंह मोड़ा
शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में स्थित रामसर साइट सांख्य सागर झील में जलकुंभी बढ़ने से जहां मगरमच्छों की प्रजाति पर पैदा हो गया है, वहीं झील में प्रतिवर्ष आने वाले प्रवासी पक्षी गत वर्ष से यहां शिवपुरी से मुंह मोड़ चुके हैं।
झील घूमने आने वाले पर्यटक भी वन विभाग और पर्यटन विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। पर्यटकों का कहना है कि इतनी अच्छी रामसर साइट को वह देखने के लिए आते हैं लेकिन यहां पर पानी में जलकुंभी बढ़ गई है और इसे हटाने के लिए कोई प्रबंध नहीं किए जा रहे।
पार्क प्रबंधन की नाकामी
माधव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर आने वाली इस रामसर साइट की देखभाल का जिम्मा वन विभाग के पास है, वहीं पार्क क्षेत्र के बाहर के जल स्त्रोंतो पर सिंचाई विभाग और पालिका को ध्यान देना चाहिए मगर ऐसा नहीं है।