सीसीबी घोटाला: कौंड़ी कौंड़ी को मोहताज खाताधारी किसान, मौज मार रहे हैं बैंक स्कैमर

मुख्य आरोपियों की अचल सम्पत्ति कुर्की से पीछे हटा प्रबंधन 

-प्रदेश के सबसे बड़े सहकारिता बैंक घोटाले के नामजद मुख्य आरोपी पकड़ से बाहर 

सहकारिता सेक्टर में अब तक के प्रदेश के सबसे बड़े घोटाले ने हजारों किसानों और मध्यम वर्गीय लोगों को जहां कंगाली के कगार पर पहुंचा दिया है, वहीं घोटाले के मुख्य आरोपी पुलिस की नाक के नीचे धड़ल्ले से मौज फरमा रहे हैं। पुलिस इन्हें कागजों में फरार दर्शाकर चुप्पी ओढ़े बैठी है। सीसीबी के सीबीएस सिस्टम प्रभारी प्रभात,लेखापाल त्यागी जनरल मैनेजर लता कृष्णन, हरिवंश श्रीवास्तव ये ऐसे नाम हैं जिनके विरुद्ध नामजद एफआईआर है और आज तक पुलिस अथवा बैंक प्रबंधन ने एक कील भी कुर्क करने सम्बंधी कोई कार्रवाई नहीं की है और न ही इनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए। पुलिस का यह रवैया दर्शाता है कि पुलिस भी इस घोटाले को पर्दे के पीछे प्रश्रय दे रही है। 

शिवपुरी में हुए सौ करोड़ से अधिक के सीसीबी घोटाले में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक शिवपुरी की कोलारस ब्रांच सहित शिवपुरी शाखा और जिले की अन्य शाखाओं पर भी जांच की सुई केन्द्रित हुई दो एफआईआर हुई मगर गिरफ्तारी की बात करें तो मुख्य आरोपियों में राकेश पाराशर सहित दो तीन नामजद लोगों को छोड़ कर शेष को पुलिस ने अभयदान दे दिया है। यहां सीबीएस सिस्टम प्रभारी प्रभात मुख्य भूमिका में होने के बावजूद पुरानी शिवपुरी और फिजिकल के इंद्रानगर बंगले पर घूमता देखा जा रहा है, इसकी अर्जित अचल सम्पत्ति पर बैंक के आला अधिकारियों ने अब तक कुर्की जैसी कोई कार्रवाई शुरु तक नहीं की है। ऐसे में यह सम्पत्ति खुर्दबुर्द होना शुरु हो गई है। कमोवेश लेखा पाल त्यागी और हरिवंश की मौजूदगी भी शिवपुरी मेंं बनी हुई है। पुलिस के साथ यह आंख मिचौली किस हद तक कैसे की जा रही है इसकी एक बानगी उस समय देखने में आई जब पुलिस के लिए फरार बताये जा रहे घोटाले के आरोपी प्रभात ने रजिस्ट्रार के यहां बयान भी दर्ज करा दिए। यह स्थिति दर्शाती है कि पुलिस और बैंक प्रबंधन की सांठगांठ इस केस के आरोपियों के साथ बराबर बनी हुई है। 

तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल ने कुछ लोगों पर शुरुआती एफआईआर के बाद मात्र 2000 का ईनाम घोषित किया था मगर उसके बाद तो पुलिस ने इस केस पर ध्यान देना ही बंद कर दिया है। जहां नामजद मुख्य आरोपियों पर पुलिस मेहरबान है वहीं केस को उलझाने के लिए तमाम नए आरोपी खड़े करने की कवायद जरुर चल रही है। जिस 13 सदस्यीय जांच दल ने उक्त मुख्य आरोपियों के विरुद्ध जांच प्रतिवेदन दिया, उन आरोपियों की गिरफ्तारी और कुर्की से पुलिस और बैंक प्रबंधन का पीछे हटना समझ से परे है। 

बैंक प्रबंधन ने बैंक में हुए करोड़ों के गबन की रिकवरी के लिए शुरु में हाथ पैर मारना शुरू किया था मगर अब बड़े अधिकारी चुप्पी ओढ़ गए हैं। जिला सहकारी बैंक शिवपुरी की जिले भर की तमाम ब्रांचों में बड़े पैमाने पर गड़बडियां सामने आ रही हैं। कुल मिलाकर यदि फरार आरोपियों को ऐसे ही खुला छोड़ा गया तो इस केस में शेष कुछ भी नहीं बचने वाला रही बात रिकवरी की तो बाहर घूम रहे आरोपियों की सम्पदा पर जब तक शिकंजा नहीं कसा गया।

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Rahil Sharma
Rahil Sharma
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