केपी को देवेन्द्र ने दी एक तरफा मात,रिकार्ड 43030 मतों से बाजी मारी

देवेन्द्र ने किया जबर्दस्त कम बैक, केपी का उल्टा पड़ा दांव
  • देवेन्द्र दोनों ही क्षेत्र छोड़ कर लड़े, एक को मिला मुकाम दूसरे के हिस्से हार आई

30 साल बाद रिकार्ड 43030 मतों से जीते देवेन्द्र, रचा जीत का कीर्तिमान

जिस वैश्य समाज के प्रत्याशी को 30 पहले केपी ने हराया उसी समाज से हारे

शिवपुरी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवेन्द्र जैन और कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह के मध्य हुए मुकाबले मेंं भाजपा के देवेन्द्र जैन ने रिकार्ड 43030 मतों से बम्फर जीत हासिल कर काँग्रेस के अविजित माने जाने वाले विधायक केपी सिंह को एक तरफा करारी मात दी है। भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन को 112324 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह काजू को 69294 मत ही मिले जबकि बहुजन समाज पार्टी के एवरन सिंह गुर्जर को 10703 मत हासिल हुए। इस विधानसभा सीट पर 190323 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। जीत के बाद देवेन्द्र जैन समर्थकेां ने जोरदार जुलूस के साथ उन्हें मतगणना स्थल से निवास तक पहुंचाया। वे अपने भाई जितेन्द्र जैन के साथ जीत का प्रमाण पत्र लेने पहुंचे।

यहां शिवपुरी सीट पर आकर चुनाव लडऩे का केपी सिंह का दांव उल्टा पड़ गया है। शिवपुरी विधानसभा सीट का यह चुनाव पिछले कई घटनाक्रमों को देखते हुए बड़ा ही दिलचस्प संयोगों से भर गया है।कुछ घटनाक्रमों पर गौर करें देवेन्द्र जैन और केपी सिंह ने अपना पहला 1993 में चुनाव क्रमश: भाजपा और कांग्रेस से शिवपुरी और पिछोर सीट से लड़ा दोनों विधायक बने। केपी ङ्क्षसह तत्कालीन राजस्व मंत्री वैश्य समुदाय के लक्ष्मीनारायण गुप्ता को चुनाव हरा कर पिछोर से विजयी रहे जबकि देवेन्द्र जैन ने शिवपुरी सीट से अपने ही समधि स्व सांवलदास गुप्ता से यह चुनाव जीता।

वर्ष 1998 में शिवपुरी विधायक रहते देेवेन्द्र जैन ने श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया को शिवपुरी सीट छोड़ दी तो यशोधरा राजे ने 2023 के चुनाव में शिवपुरी सीट भाजपा के लिए छोड़ कर उनका यह हिसाब बराबर कर दिया। अब और रोचक तथ्य देखिए 30 साल से लगातार विधायक रहे केपी सिंह इस चुनाव मेंं अप्रत्याशित ढंग से पिछोर छोड़ शिवपुरी चुनाव लड़ने आए और उधर कोलारस से चुनावी फील्डिंग सजा रहे कोलारस के पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन भी यशोधरा की पारंपरिक सीट शिवपुरी से चुनाव मैदान में आ पहुंचे।

जबकि इससे पूर्व तक केपी पिछोर और देवेन्द्र कोलारस के लिए मेहनत कर रहे थे। होनी प्रबल होती है यही कुछ विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के साथ घटित हुआ। भाजपा से कांग्रेस में आए विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने शिवपुरी से चुनाव की खातिर कांग्रेस का पल्ला थामा और यहां से चुनाव की तैयारियां भी शुरु कर दीं, मगर संयोग देखिए कि केपी सिंह शिवपुरी से चुनावी ताल ठोंक बैठे। इसके साथ ही महत्वाकांक्षा के फेर में वीरेन्द्र ने सत्ताधारी भाजपा से हाथ धोया, इधर केपी 30 साल बाद वैश्य समाज के प्रत्याशी के हाथों हार गए, जबकि 30 साल पहले वे वैश्य समाज के नन्नाजू को हरा कर विधायक बने थे। इन सबके बीच यशोधरा राजे सिंधिया के शिवपुरी से चुनाव न लडऩे को लेकर कोई सोच भी नहीं सकता था, मगर वे एकाएक भाजपा की इस प्रचण्ड आंधी के मध्य शिवपुरी को अलविदा कह कर सीट छोड़ गईं।

कुल मिलाकर इस विधानसभा सीट पर देेवेन्द्र जैन की किस्मत में राजयोग कुलांचे मार रहा था जिसके चलते वे रिकार्ड मतों से चुनाव जीत कर तीस साल बाद फिर से शिवपुरी विधायक बन गए। उनकी इस चुनावी जीत में उनके छोटे भाई जितेन्द्र जैन गोटू ने कांग्रेस ज्वाईन करने के बावजूद जहां उनका खुलकर साथ दिया, वहीं देवेन्द्र जैन ने रणनीतिक लिहाज से जिस दमदारी से चुनाव लड़ा नतीजा उतना ही अच्छा उनके हक में रहा। शिवपुरी विधानसभा में चुनावी जीत का रिकार्ड भाजपा की बरिष्ठ नेत्री श्रीमती यशोधरा राजे के नाम था जिन्होंने 2018 में कांग्रेस के सिद्धार्थ लढ़ा को 28700 से अधिक मतों से हराया था। मगर इस रिकार्ड को अब देवेन्द्र जैन ने 43030 मतों के साथ जीत दर्ज कर अपने नाम कर लिया है।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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