झड़प के बाद पिछोर के चुनाव में तनाव घुला, प्रशासन को चुनौती बना कांटे का चुनाव

पिछोर में कांग्रेस ने खेला सोशल इंजीनियरिंग का दांव
  • लोधी विरुद्ध गैर लोधी के समीकरण की काट कांग्रेस ने लोधी विरुद्ध लोधी निकाली
  • अमित शाह, से लेकर सीएम तक ने दम झोंका, कांग्रेस ने केपी को सौंपा दायित्व

विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक तापमान बुलंदी पर है। पिछोर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव पूर्व कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के समर्थकों के मध्य हुई हिंसक झड़प के बाद तो माहौल में और दहशत घुल गई है।प्रशासन के लिए यूं तो पिछोर विधानसभा क्षेत्र पहले भी चुनौती से काम नहीं रहा है यहां इस विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद लोधी और भाजपा प्रत्याशी प्रीतम सिंह लोधी के बीच मुकाबला होना है। पिछोर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रीतम लोधी मूल रूप से जलालपुर ग्वालियर क्षेत्र के रहने वाले हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद लोधी पिछोर के निवासी हैं। अतीत की बात करें तो 1993 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रहे तत्कालीन राजस्व मंत्री स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण गुप्ता को कांग्रेस प्रत्याशी के पी सिंह ने पराजित किया था। उसके बाद से वर्तमान तक 30 साल से यहां कांग्रेस विजयी होती आ रही है।

लोधी मतों के ध्रुवीकृत होने के चलते अन्य जातियों का एकीकरण कांग्रेस प्रत्याशी की विजय का मूल मंत्र यहां बनता रहा है, इस बार दोनों ही पार्टियों से लोधी समुदाय के प्रत्याशी हैं, कांग्रेस ने पिछोर विधायक केपी सिंह को शिवपुरी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है जबकि उनके स्थान पर केपी सिंह समर्थक अरविंद लोधी को टिकट दिया है, भाजपा ने विगत दो बार से चुनाव हार रहे प्रीतम लोधी को टिकट दिया है। यहां बता दें कि प्रीतम लोधी को भारतीय जनता पार्टी ने गत वर्ष ब्राह्मण विरोधी वक्तव्य देने के कारण पार्टी से निष्कासित कर दिया था लेकिन उनका यह निष्कासन चुनाव से पूर्व न केवल समाप्त कर दिया बल्कि ब्राह्मण संगठनों के प्रदेश व्यापी विरोध के बावजूद प्रीतम लोधी को टिकट भी दे दिया।

सीएम से लेकर शाह तक कर चुके प्रचार, कांग्रेस ने नहीं बुलाए स्टार

यहां देश के गृहमंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रीतम लोधी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर चुके हैं जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद लोधी के समर्थन में विधायक केपी सिंह खुद सारी व्यूह रचना रचना में जुटे हुए हैं। वे शिवपुरी की खुद की सीट के अलावा पिछोर पर भी पूरा.पूरा ध्यान दे रहे हैं। चुनावी सभाओं की बात करें तो जो भीड़ पिछले शनिवार को केपी सिंह की चुनावी आमसभा में जुटी उसने अमित शाह और शिवराज की सभाओं को फीका कर डाला।

यहां कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 68 हजार 482 है। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 40 हजार 982 हैं। जबकि महिला मतदाता 1 लाख 27 हजार 497 हैं। वहीं विधानसभा में 3 थर्ड जेंडर हैं।

चुनावी गणित को यूं समझें

पिछोर विधानसभा सीट पर अब तक कोंग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह लगातार जीत का रिकार्ड बना चुके हैं उनकी जीत सोशल इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण रही है। दरअसल लोधी वोटर्स के बाहुल्य के चलते अन्य वोटर्स का धु्रवीकरण अब तक कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में होता रहा है तीस साल में पहली वार कांग्रेस ने यहां लोधी उम्मीदवार अरविंद लोधी को प्रत्याशी बनाया है जिससे अब यह चुनाव अब लोधी विरुद्ध अन्य के बजाए स्थानीय बनाम बाहरी लोधी के मध्य हो गया है।

कांग्रेस के जो केपी सिंह के वोटर हैं वे आज भी एकजुट हैं जबकि अब से पूर्व कांग्रेस के गैर लोधी प्रत्याशी के विरुद्ध होने वाला लोधी एकीकरण होने से रहा क्योंकि खुद अरविंद भी लोधी हैं यही कारण है कि भाजपा के लोधी कार्ड की काट कांग्रेस ने लोधी को मैदान में उतार कर कर डाली है। कांग्रेस को इस बार लोधी वोट भी मिलने के पूरे आसार हैं क्योंकि लोधी और गैर लोधी की विभाजन रेखा खत्म हो गई। कुल मिलाकर लोधी मतो के बंटवारे के बीच अब जो प्रत्याशी अन्य समाजों को अपनी ओर खींचने में सफल होगा जीत का सेहरा उसके सिर बंधना तय है।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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