- चुनाव प्रचार को दो दिन शेष, वोटर्स ने बनाया मानस, पार्टियों ने झोंकी ताकत
अब विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए केवल आज का दिन शेष है। 15 नवंबर को शाम 5:00 बजे से चुनाव प्रचार रैली जुलूस और जनसंपर्क पर रोक लग जाएगी। जिले की पांचो विधानसभा सीटों पर तूफानी प्रचार के लिए एक दिन ही बचा है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 13 तारीख से ही जिले में डेरा डाल दिया है। वे शिवपुरी में रोड शो कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकने में जुटी हुई है।इस बीच शिवपुरी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी विधायक केपी सिंह की 15 को होने वाली चुनावी आम सभा जिला मुख्यालय पर कांग्रेस का पहला और आखिरी बड़ा आयोजन माना जा रहा है।
अब से पूर्व केपी सिंह ने विभिन्न वार्डों में जनसंपर्क पर जहां जोर दिया वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी उन्होंने व्यक्तिगत संपर्क में ही अपनी उर्जा लगाई है। किसी स्टार प्रचारक के बूते उन्होंने इस चुनाव को नहीं छोड़ा है। इसके ठीक विपरीत भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी देवेंद्र जैन के पक्ष में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक चुनावी आमसभा कर चुके हैं। शिवपुरी विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के बीच है।
मुद्दों की भरमार के बीच अपने अपने दृष्टिकोण
यहां मुद्दों की बात करें तो मुद्दे चारों तरफ बिखरे पड़े हैं लेकिन फर्क दृष्टिकोण का है। भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन जो कि भाजपा प्रत्याशी हैं, वे चुनावी साक्षात्कार में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को बरकरार रखना एकमात्र एजेंडा बताते हैं। इसके ठीक विपरीत कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह भारतीय जनता पार्टी के 18 वर्षीय कार्यकाल में हुए शिवपुरी के कथित विकास को लेकर जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं। यहां 18 साल के लंबे शासन के बावजूद बिजली पानी सड़क और सीवर जैसे बुनियादी मुद्दे बरकरार रहना इस बात का परिचायक है कि यहां विकास की परिभाषा किस प्रकार गढ़ी गई है।भारतीय जनता पार्टी लाडली बहन योजना के बलबूते महिला वर्ग में अपनी पैठ बनाने की जुगत में है।
भाजपा जहां भितरघात और गुटबाजी से जूझ रही है, वहीं कांग्रेस में भी टिकट के कुछ दावेदार भीतर ही भीतर पार्टी की जड़ों को कमज़ोर करने की कोशिश में लगे हुए हैं। भाजपा जिन विकास के बिंदुओं को गिना रही है उनमें शिवपुरी का स्टेडियम, थीम रोड, पाम पार्क और मेडिकल कॉलेज जैसे बिंदु शामिल हैं वहीं आम लोगों का कहना है कि गली मोहल्ले में ना तो सड़क की सुविधा है ना पीने को पानी है। सीवर का हाल यह है कि यह योजना जो 21 महीने में पूरी होनी थी वह 10 साल बाद भी अधूरी पड़ी हुई है। लागत कई गुना अधिक हो चुकी है, सिंध जलावर्धन योजना भी यहां फेल साबित हो रही है। नगर पालिका का फेलुअर यहां भाजपा के लिए सरदर्द का सबक बना हुआ है। नगरीय क्षेत्र का मतदाता इन मूलभूत समस्याओं को आगे रखता है। मतदाताओं का कहना है कि आम आदमी को विकास के नाम पर अब तक केवल सपने दिखाए गए हैं हासिल कुछ नहीं हुआ है।
उम्मीदवारों की राजनैतिक पृष्ठभूमि
भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन 1993 से 1998 तक शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके बाद वे कोलारस शिफ्ट हो गए थे और उनका वोट भी कोलारस में है। कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह 1993 से वर्तमान तक यानी 30 साल से पिछोर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक रहे है। उनको भी अपने विधानसभा क्षेत्र पिछोर में वोटिंग करनी है। कांग्रेस ने उन्हें शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया तो इसके पीछे वजह यह थी कि भाजपा की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम शिवपुरी विधानसभा सीट से बतौर प्रत्याशी चल रहा था। यह बात अलग है कि ऐन समय पर भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव नहीं लड़ाया।
कुर्ता फाड़ राजनीति का जनक शिवपुरी
प्रदेश में कांग्रेस की कुर्ता फााड़ राजनीति भी शिवपुरी के इसी टिकट एपिसोड की देन है। टिकट आवंटन से एक महीने पहले ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए कोलारस के विधायक वीरेंद्र रघुवंशी शिवपुरी विधानसभा सीट से खुद को प्रत्याशी मानकर चुनाव प्रचार में जुट गए थे, लेकिन एन समय पर जब उनका टिकट कटा तो वे नाराजगी की मुद्रा में आ गए। वे अपने इस टिकट काटने को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह को बड़ी वजह बताते हैं। उन्होंने खुद को शिवपुरी विधानसभा सीट से अलग रखा हुआ है और वह यहां से छिंदवाड़ा तक प्रचार करने जा रहे हैं लेकिन शिवपुरी से आउट रहे हैं।
यशोधरा कर चुकी हैं प्रचार से इंकार
यहां सिंधिया समर्थक और यशोधरा समर्थक खेमा भाजपा के प्रचार में एक्टिव रोल में दिखाई नहीं दे रहा। खुद यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन के चुनाव प्रचार से इनकार कर चुकी हैं। भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन के छोटे भाई पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र जैन यूं तो एक माह पूर्व कांग्रेस की सदस्यता ले चुके थे लेकिन बात जब चुनाव में अपने बड़े भाई के मैदान में खड़े होने की आई तो उन्होंने पार्टी अनुशासन को दरकिनार कर भाजपा के पक्ष में उन्होंने प्रचार जारी रखा हुआ है।
कुछ ऐसे हैं विधानसभा के चुनावी आंकड़े
शिवपुरी विधानसभा सीट पर 258691 मतदाता हैं और कुल 294 पोलिंग स्टेशन हैं जहां 17 नवंबर को मतदान होना है। अनुमानित तौर पर जो जातिगत आंकड़े सामने बताए जाते हैं उनमें वैश्य समुदाय लगभग 30 हजार की संख्या में है तो ब्राह्मण समुदाय भी इस सीट पर 28 से 29000 के बीच है। मुस्लिम वोटर लगभग 16 से 18000 के बीच में हैं तो आदिवासी मतदाता भी लगभग 15 से 17000 के मध्य हैं।
कायस्थ समुदाय के वाटर यहां लगभग 3000 हैं तो राठौर समुदाय के वोटर की संख्या भी 7 से 8000 के मध्य हैं। यहां 6 से 7000 की संख्या में कुशवाहा वोटर है तो दलित समुदाय के मतदाताओं की संख्या भी 15 से 16000 के मध्य हैं और लोधी वोटर 9 से 11000 के बीच हैं। इनके अलावा गुर्जर, रावत, क्षत्रिय,प्रजापति, यादव, किरार, लुहार व अन्य समाज के मतदाता भी यहां मौजूद हैं।
किसका क्या गणित
भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन वैश्य मतदाताओं के ध्रुवीकरण को अपनी ताकत बता रहे हैं हालांकि वैश्य समुदाय के कुछ प्रतिशत वोटर खुलकर कांग्रेस के साथ भी खड़े दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह का कास्ट फैक्टर से ना तो पिछोर में कोई लेना देना था और ना ही शिवपुरी में उनका अपना कोई बड़ा कास्ट फैक्टर है। यहां ब्राह्मण समाज का अधिकांश मतदाता इस बार कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहा है तो उसके पीछे भाजपा का प्रीतम लोधी को टिकट देना माना जा सकता है।
कुछ समयु पूर्व प्रीतम लोधी ने ब्राह्मण समाज को अपमानित किया था और ब्राह्मण संगठनों ने प्रीतम लोधी के विरुद्ध ज्ञापन देकर भाजपा नेतृत्व से टिकट देने के लिए भी मांग की थी लेकिन भाजपा ने इसे नजर अंदाज कर दिया। ब्राह्मणों की नाराजगी भाजपा को इस चुनाव में भारी पड़ सकती है।
आदिवासी वर्ग का रुझान भी इस बार कांग्रेस की ओर दिखाई दे रहा है जबकि पिछड़ा वर्ग में जातिगत जनगणना का जो फैक्टर है और जिसे कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर लगातार उठा रही है, उसके दृष्टिगत ओबीसी वोटर भी परिवर्तन के तेवर कहीं कहीं दिख रहा है। कर्मचारी वर्ग की बात करें तो यहां कर्मचारियों में ओल्ड पेंशन स्कीम बड़ा इशू है वही बेरोजगारों के लिए पटवारी भर्ती घोटाले से लेकर अन्य पदों पर भर्ती न होना परीक्षा परिणाम लंबित रखा जाना बड़े इशू के तौर पर देखें और सुने जा रहे हैं।