समय समय पर निष्ठा बदलना चुनाव में आ रहा है आड़े
इससे पूर्व यशोधरा से लेकर प्रहलाद पटेल तक ने शिवपुरी से मुंह मोड़ा
सिरसौद थानांतर्गत ग्राम सिरसौद में शिवपुरी विधानसभा के भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन के समर्थन में होने वाली केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य अंतिम समय में सभा स्थगित होने से क्षेत्र में तमाम चर्चाएं व्याप्त हो गई हैं। शिवपुरी के सिरसौद में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन के समर्थन में होने वाली सभा कल अंतिम समय में स्थगित होने से सियासत गर्माई हुई है।
लोग कयास लगा रहे हैं कि अब तक किसी भी बड़े नेता ने शिवपुरी में आम सभा नहीं की है तो इसकी बजह क्या है? क्या बड़े नेता बीच आगामी लोक सभा सीट का गणित इस विधानसभा से ही बुनना शुरु कर चुके हैं। जाहिर सी बात है कि शिवपुरी विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस के कद्दावर विधायक केपी सिंह चुनाव लड़ रहे हैं जिनके पिछोर विधानसभा क्षेत्र से हमेशा सिंधिया को जीत मिलती रही है। भविष्य में इन्ही चुनावी नतीजों को आने वाले समय में शिवपुरी के अलावा पिछोर से भी साधे रखने की संभावित रणनीतिके तहत ही तो कहीं सिंधिया शिवपुरी में दखल से दूरी बनाए रखने की कोशिश नहीं कर रहे।
आखिर क्या कारण रहा कि सिंधिया ने अंतिम समय में देवेंद्र जैन के समर्थन में होने वाली सभा स्थगित कर दी। कुछ लोग केंद्रीय मंत्री सिंधिया द्वारा शिवपुरी में सभा न करने को लेकर उनकीदेवेन्द्र जैन से नाराजगी से जोड़ कर चल हैं। सिंधिया द्वारा तीन नवंबर को भी कोलारस और पोहरी विधानसभा क्षेत्र के गांवों में तो भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में सभा की, लेकिन देवेन्द्र जैन के समर्थन में होने वाली सभा स्थगित कर दी गई। राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रहे देवेन्द्र जैन के बारे में यह धारणा है कि वे किसी एक नेता के साथ स्थाई तौर पर जुड़कर नहीं चल पाए। वक्त जरुरत के अनुसार ये अपने राजनैतिक गॉडफादर बदलते रहे है। कभी प्रभात झा, कभी नरोत्तम मिश्रा, तो कभी नरेन्द्र सिंह और कभी यशोधरा राजे सिंधिया को अपना नेता बना लेने के चलते भी संभव है कि सिंधिया शिवपुरी सीट पर कोई ध्यान देने से बच रहे हैं।
सिंधिया की चुनावी सभा रद्द होने से लोग इसे ऊपर के संकेत के तौर पर देख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यशोधरा राजे सिंधिया ने भी पहले ही देवेन्द्र जैन को चुनाव प्रचार के लिए स्पष्ट इंकार कर दिया। हालांकि अभी चुनाव में समय है ऐसे में यदि सिंधिया का कोई चुनावी कार्यक्रम बनता है तो यह देखना गौर तलब होगा कि वे क्या कुछ संदेश देते हैं। सिंधिया समर्थकों ने भी इस सीट पर चुप्पी ओढ़ रखी है।