विधानसभा चुनावों में स्थानीय निकाय चुनावों की खुन्नस का भी असर अब दिखाई देने लगा है। इसका सबसे अधिक असर सत्तादल की राजनीति में दिखाई दे रहा है। शिवपुरी, पोहरी और बैराड़ नगर पालिका चुनाव के दौरान जो भितरघात और टिकटावंटन में मनमानी चली तथा अध्यक्ष के चुनाव में जो कुछ घटित हुआ वह अब पार्टी को भुगतना पड़ रहा है।
जिला पंचायत चुनावों के बाद पदाधिकारियों के क्रियाकलाप कोलारस विधानसभा क्षेत्र में आड़े आ रहे हैं, शिवपुरी नगर पालिका में सत्ताधारी दल के कई बड़े नेताओं ने ही तमाम वार्डों में दल के उम्मीदवार के समानांतर प्रत्याशी खड़े कर जिस तरह से दलगत प्रत्याशी की मुसीबतें बढाईं अब वह तमाम हारे जीते प्रत्याशी और उनके समर्थक खुलकर विधानसभा चुनाव में पार्टी के आड़े आ रहे हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो चुनाव जैसे-जैसे रंगत पर आएगा वैसे-वैसे असंतोष में सिर घुन रहा वर्कर भी खुले आम सड़कों पर दिखाई देगा।
कोलारस सीट पर परिवारवाद की राजनीति ने गणित बिगाड़ रखा है। अन्दरुनी मार ने कई कट्टर पार्टी समर्थकों को भी इस विधानसभा चुनाव में सोचने पर मजबूर कर दिया है। यादव बहुल विधानसभा में यादवों में भी दो फाड़ की स्थिति हो गई है और अधिकांश असंतुष्ट नेताओं ने एक अलग से मचेवा दल नामक संगठन बना लिया है, जो इन दिनों इस परिवारवाद के विरूद्ध खड़ा नजर आ रहा है। उल्लेखनीय है कि कोलारस विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने सिंधिया समर्थक महेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखें तो महेंद्र यादव के पिता स्व राम सिंह यादव न केवल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे बल्कि जिला पंचायत अध्यक्ष भी वही रहे, विधायक का टिकट भी कोलारस के अलावा करैरा तक से उन्हें कांग्रेस ने दिया। एक मर्तवा सांसद का टिकट भी राम सिंह यादव को दिया गया। इसके बाद राम सिंह यादव की पुत्री मुनिया यादव जनपद अध्यक्ष रहीं तो राम सिंह यादव के निधन के बाद उनके बेटे महेंद्र यादव को कांग्रेस से टिकट मिला और वे सहानुभूति लहर में चुनाव जीते, 2018 के चुनाव में भाजपा से हारे लेकिन अब 2023 में टिकट की बारी आई तो भाजपा ने भी महेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा। इससे पूर्व महेंद्र यादव की पुत्री नेहा अमित यादव को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भी सिंधिया के पसंद के चलते हासिल हुई। निरंतर क्रम में एक ही परिवार को राजनीतिक तौर पर उपकृत किया जाने के कारण क्षेत्र के अधिकांश यादवों में भी इस परिवारवाद को लेकर निराशा का माहौल है और यही कारण है कि चुनाव से ठीक पहले सिंधिया समर्थक बैजनाथ सिंह यादव ने सिंधिया का साथ और भाजपा से पल्ला झाड़ लिया अब उन्हें कोलारस से कांग्रेस ने हाथों हाथ लिया और उम्मीदवार बनाया है।
कमोवेश शिवपुरी नगर और पोहरी बैराड़ नगरीय क्षेत्र में भी निकाय के चुनावों के साइड इफेक्ट दिखना शुरू हो गए हैं। माना जा रहा है कि पार्टी के बड़े नेता इस डैमेज कंट्रोल के लिए शिवपुरी में असंतुष्टों से चर्चा कर इस बिखराव को एक जुटता में बदलने के लिए काम करने की रणनीति में जुट गए हैं।