राजनीति के रण में रिश्तों का कोई मोल नहीं
राजनीति के रण क्षेत्र में जाति और सम्बंधों का कोई लिहाज नहीं ऐसे में लोग दलों का लिहाज कहां करने चले हैं। अब जिले की कुछ विधानसभा सीटों पर टिकट की लड़ाई से लेकर चुनाव लड़ने तक की स्थिति पर गौर करें तो मामला रोचक नजर आता है। कोलारस से ससुर दामाद के बीच कश्म्कश की स्थिति है तो पिछोर में लोधी विरुद्ध लोधी और पोहरी में धाकड़ विरुद्ध धाकड़ आमने सामने हैं। कोलारस विधानसभा सीट पर कांग्रेस से बैजनाथ सिंह चुनाव मैदान में हैं तो उनके विरुद्ध भाजपा से चुनाव लड़ रहे महेन्द्र यादव रिश्ते में बैजनाथ के दामाद होते हैं। यहां ससुर दामाद के बीच चुनावी संघर्ष है। इससे पूर्व इस सीट पर पत्तेवाले परिवार से दो सगे भाई जितेन्द्र जैन गोटू और देवेन्द्र जैन पत्तेवाले दोनों ही क्रमश: कांग्रेस और भाजपा से टिकट की मांग कर रहे थे, जिनमें से कोलारस तो नहीं मगर शिवपुरी विधान सभा सीट से देवेन्द्र जैन को भाजपा ने टिकट दे दिया है मगर जितेन्द्र जैन इस समय दुविधा में हैं कि वे कांग्रेस का प्रचार करें, या अपने भाई भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन का साथ शिवपुरी जाकर दें अथवा फिर खुद किसी अन्य दल से चुनाव लड़े ऐसे में फिलहाल की स्थिति में वे भाई के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। यहां गोटू और देवेन्द्र जैन के सगे बहनोई राकेश गुप्ता भी चुनाव के लिए शिवपुरी से टिकट मांग रहे थे। यानि एक ही रिश्तेदारी में तीन दावेदार होड़ में थे।
अब देखें पोहरी में तो यहां किरार समाज डिसाईडिंग फैक्टर है और यहां से कांग्रेस के बागी प्रद्युम्र वर्मा ने बसपा के हाथी पर सवारी गांठ ली है जबकि मंत्री सुरेश रांठखेड़ा तीसरी बार मैदान में हैं। दो धाकड़ों के बीच मत विभाजन को तक रही कांग्रेस इस जुगत में है कि शेष जातियां हाथ का साथ दें। ऐसे में भाजपा के सुरेश धाकड़ का गणित गड़बड़ाता जान पड़ रहा है। पोहरी की बात चल रही है तो इस सीट पर भाजपा से ही चाचा और भतीजे के बीच टिकट की मांग को लेकर चली होड़ भी चर्चा का विषय रही। यहां से पूर्व विधायक नरेन्द्र बिरथरे और उनके भतीजे सोनू बिरथरे के बीच स्पर्धा थी लेकिन पार्टी ने दोनों को ही टिकट से बंचित कर दिया है, जिसका संदेश साफ है कि घर में ही यह निर्णय नहीं कर पा रहे तो चुनाव में क्या कुछ हालात बनेंगे इसे पार्टी ने ध्यान में रखा।
अब पिछोर सीट पर देखें तो यहां भाजपा के प्रीतम लोधी को सबक सिखाने की गरज से कांग्रेस ने स्थानीय अरविंद लोधी को टिकट दे डाला है जिससे अब वहां लोधी विरुद्ध लोधी और बाहरी विरुद्ध स्थानीय के बीच कशमकश बढ़ गई है और मुकाबला कांटे का हो गया है। शिवपुरी से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र जैन पत्तेवाले 1993 में कांग्रेस प्रत्याशी सांवलदास से चुनाव लड़े और जीते थे जो उनके समधी थे। यानि यहां राजनीति के रण में रिश्तों का कोई मोल नजर नहीं आता।