17 को मतदान इस बार चुनाव प्रचार के लिए सीमित समय
अभी बाजारों में नजर नहीं आ रहे राजनीतिक दलों के बैनर पोस्टर्स
शिवपुरी जिले की सभी पांचो सीटों पर दोनों प्रमुख दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। आने वाली 17 नवंबर को मतदान की तिथि निर्धारित है ऐसे में चुनाव प्रचार के लिए राजनीतिक दलों पर सीमित समय है। जिला प्रशासन के अधिकारी चुनावी तैयारी में व्यस्त हो गए हैं, आदर्श आचार संहिता का अनुपालन ठीक से हो इसे लेकर प्रशासन फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। कुछ विधानसभा सीटों पर अभी तीसरे दल की धमक भी सुनाई दे सकती है। बागियों के लिए अभी 31 अक्टूबर तक सभी ऑप्शन खुले हुए हैं। चुनाव प्रचार की बात करें तो सभी पांचो सीटों पर
फिलहाल की स्थिति में पिछोर और करेरा में भाजपा उम्मीदवार जल्दी घोषित हो जाने के कारण इन्होंने अपने चुनाव प्रचार में कांग्रेस की तुलना में बढ़त बनाकर रखी है। जबकि शेष तीन सीटों शिवपुरी कोलारस और पोहरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी पहले घोषित हो जाने के कारण चुनाव प्रचार अभियान गति पकड़ गया है। आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के चलते प्रत्याशी भी दीवार लेखन से लेकर फ्लेक्स बैनर लगवाने तक में सावधानी बरत रहे हैं। यही कारण है कि पूर्ववर्ती वर्षों में सार्वजनिक स्थानों, चौराहों पर जो चुनावी रंगत दिखाई देती थी वह फिलहाल अभी दिखाई नहीं दे रही है।दलगत असंतोष की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी में सिंधिया के विलय के साथ ही असंतोष की जो शुरुआत हुई थी वह इस समय पार्टी में अपनी जबरदस्त पैठ बन चुकी है। यहां मूल भाजपा और महाराज भाजपा के स्तर पर पार्टी दो भागों में बटी दिखाई दे रही है। उधर कांग्रेस में भी टिकट वितरण के स्तर पर जिस तरह का मनमुटाव पैदा हुआ है वह कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए दुविधा की स्थिति में खड़ा करने वाला है।
मुद्दों के स्तर पर कहीं जाति कही हाथी कहीं विकास तो कहीं अन्य चुनावी मुद्दे फि लहाल देखे जा रहे हैं। इस दौर में कुछ प्रत्याशी हारने या जीतने से अधिक केवल वोट कटवा की भूमिका में मैदान में खड़े दिखाई दे सकते हैं हालांकि अब मतदाता इस हद तक जागरूक हो गया है कि भीतरघात करने वालों और वोट कटवा उम्मीदवारों को किसी तरह की कोई तरजीह देगा इसकी संभावना कम है। फिलहाल की स्थिति में सभी प्रत्याशियों का ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस है सो गांव गांव में जनसंपर्क और नुक्कड़ सभाओं का छुटपुट दौर शुरू हो चुका है।