93 में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से समधी को हराकर विधायक बने थे देवेंद्र
कहते हैं इतिहास खुद को दोहराता जरूर है, यह स्थिति शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में 25 साल बाद देखने में आई है। अब इसे संयोग कहे या कुछ और नाम दें लेकिन जो कुछ घटित हुआ है वह काबिले गौर जरूर है। वर्ष 1998 में शिवपुरी क्षेत्र से राजनीति की शुरुआत करने के लिए यशोधरा राजे सिंधिया को विधानसभा चुनाव लड़ना था, जिनके लिए जिले की शिवपुरी विधानसभा सीट का चयन किया गया। उस वक्त 1993 में शिवपुरी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सिंबल पर अपने समधी कांग्रेस प्रत्याशी स्वर्गीय सांवल दास गुप्ता को हराकर चुनाव जीते देवेंद्र जैन पत्ते वाले शिवपुरी से विधायक बने थे।
एक सिटिंग विधायक के तौर पर मौजूदा शिवपुरी सीट पर 1998 में तब की स्थिति में उनका टिकट काटने का कोई आधार पार्टी के पास नहीं था, इसके बावजूद देवेंद्र जैन को अपनी सीट सीट छोड़ना पड़ी और उन्हें कोलारस जाना पड़ा, उन्होंने इसके बाद कोलारस विधानसभा सीट से अपनी राजनीति की नई सिरे से जमावट शुरू की और कोलारस से विधानसभा चुनाव लड़ा। इधर देवेंद्र जैन द्वारा खाली की गई शिवपुरी विधानसभा सीट से भाजपा ने राजमाता की बेटी यशोधरा राजे सिंधिया को 1998 में प्रत्याशी बनाया गया और वह यहां से चुनाव जीतीं। इस घटनाक्रम के पूरे ढाई दशक बाद यानी 25 साल उपरांत आज की स्थिति में देखें तो यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक है और उन्हें जिन परिस्थितियों में शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर यहां की जनता को गुड बाय कहना पड़ा, वह 1998 की उन परिस्थितियों को याद दिलाता है जिन पर स्थितियों में देवेंद्र जैन ने शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र छोड़ा था ।
आज यशोधरा राजे सिंधिया की रिक्त की गई सीट पर फिर से 1993 के बाद देवेंद्र जैन को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। इस गजब के संयोग में फर्क सिर्फ इतना सा है कि तब देवेंद्र जैन कोलारस से राजनीति में सक्रिय हो गए थे लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यशोधरा राजे सिंधिया ने नया राजनीतिक रास्ता चुनने जैसा कोई फैसला नहीं लिया है।