अधिकांश सीटों पर आमने-सामने की स्थिति तो कहीं त्रिकोणीय संघर्ष के भी आसार

बसपा के हाथी और सपा की साइकिल भी बन सकती है बागियों की पसंद
  • नाराज नेताओं की मान मनव्वल का दौर भी जारी
  • शनिवार शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया 31 अक्टूबर तक चलेगी

विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है, इस बीच जिले की पांचों सीटों पर देखें तो मुख्य मुकाबला दो पार्टियों कांग्रेस और भाजपा के मध्य ही होता आया है, जबकि तीसरे दल के तौर पर बसपा एकाध सीट पर इन दोनों पार्टियों का गणित प्रभावित करती रही हैं। इस बार टिकटों का जो उलट फे र देखने में आया है और विभिन्न दलों में असंतोष की जो स्थिति है उसे देखते हुए कुछ सीटों पर बसपा या सपा से बागी उम्मीदवारों को टिकट मिलने पर इन सीटों का गणित गड़बड़ा सकता है। कांग्रेस में कलह की स्थिति फिर से दिखाई दे रही है तो भारतीय जनता पार्टी में भी असंतोष पिछले काफी समय से सतह पर नजर आ रहा है। पिछले चुनाव को देखें तो 2018 और पिछले उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने पोहरी विधानसभा क्षेत्र से एक के बाद एक क्रमश: भाजपा के प्रहलाद भारती और कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। हालांकि एक मर्तबा कांग्रेस विजय रही और दूसरी मर्तबा भाजपा ने बाजी मारी लेकिन बहुजन समाज पार्टी के कैलाश कुशवाह दोनों ही बार दूसरे स्थान पर रहे। ऐसे में पोहरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार भी बहुजन समाज पार्टी मुकाबला को त्रिकोणीय बनाने की भूमिका में खड़ी दिखाई दे रही है। भाजपा ने मंत्री सुरेश रांठखेड़ा को प्रत्याशी घोषित किया है वहीं बसपा से यहां प्रद्युम्न बछौरा चुनाव मैदान में है, जबकि कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के पुराने उम्मीदवार कैलाश कुशवाहा को टिकट दिया है। यहां धाकड़ मतों का डिवाईडेशन भाजपा को दिक्कत दे सकता है।

त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति कोलारस में भी बनती दिखाई दे रही है यहां कांग्रेस ने भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुए बैजनाथ सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने महेन्द्र यादव को फिर से प्रत्याशी बनाया है। इस बीच भाजपा से ही कांग्रेस में शामिल हुए एक और दावेदार जितेंद्र जैन पत्ते वाले नाराजगी की मुद्रा में हैं। बहुजन समाज पार्टी कोलारस से पहले ही प्रत्याशी घोषित कर चुकी है ऐसे में जितेंद्र जैन सपा की तरफ भी कदम बढ़ा सकते हैं अथवा बसपा से प्रत्याशी बदलने पर जोर लगा सकते हैं। फिलहाल उनका कहना है कि वह अपने समर्थकों से चर्चा कर रहे हैं तदोपरांत ही कोई निर्णय लेंगे। उनका गणित संभवत: यह है कि क्षेत्र में यादवी मतों का बिखराव तीसरे दल की सम्भावना को मजबूत करेगा।

अब देखे शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र को तो यहां से कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह को बनाया गया है जो कि अब से पूर्व पिछोर क्षेत्र का विगत 1993 से लगातार प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी कर रहे भाजपा से कांग्रेस में आए विधायक वीरेंद्र रघुवंशी कांग्रेस के इस निर्णय के बाद खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उनके तेवर यह बता रहे हैं कि वह तीसरा विकल्प भी चुन सकते हैं। उन्होंने कल अपने ही सोशल साइट हैंडल से यह सूचना पोस्ट की थी कि वे शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे लेकिन बाद में उन्होंने एक का एक अपनी यह प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थगित कर दी और कहा कि वह रघुवंशी समाज के प्रदेश के शुभचिंतकों और अपने अन्य समर्थकों से चर्चा कर रहे हैं ऐसे में विचारण उपरांत कोई निर्णय लेंगे। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस की लीडरशिप संभवत उन्हें कोई कदम उठाने से रोकने और मनाने की कवायद में लगी है और यही वह कारण है कि वह वेट एंड वॉच की स्थिति में है। वैसे देखें तो शिवपुरी विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी अपना प्रत्याशी पहले ही घोषित कर चुकी है जबकि सपा का विकल्प फिलहाल खुला हुआ है।

पिछोर विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के मध्य सीधा मुकाबला है यहां तीसरे दल की भूमिका फिलहाल की स्थिति में कहीं से कहीं तक नजर नहीं आ रही। कोलारस शिवपुरी की बात करें तो यहां कुछ चेहरे इंतजार की मुद्रा में है और जल्दी ही यह स्पष्ट हो जाएगा की मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही होना है अथवा फिर तीसरे दल से कोई वजनदार नाम ऐसा सामने आ सकता है जो प्रमुख दलों के गणित को गड़बड़ा सकता है।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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