चुनावी चकल्लस/ संजय बेचैन

इसे कहते हैं बैठी भैंसो में लठ मारना….

कांग्रेस की सिलेक्शन प्रोसेस ने इलेक्शन प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। महाराज के आगमन से पूर्व ही उनकी घेराबंदी का एपिसोड कांग्रेस में ही उथल-पुथल का कारण बनता दिखाई दे रहा है। कक्काजू के शिवपुरी आगमन के बाद वीरेंद्र का राजधानी गमन और फिर कमलनाथ का कपड़ा फाड़ प्रलाप। यह कुछ ऐसे घटनाक्रम हैं जिनके चलते कांग्रेस का कलही कल्चर सतह पर आ गया है और ऐसे समय पर आया है जब चुनाव में चंद दिन शेष रह गए हैं। कहीं खुशी कहीं गम के इस माहौल को लेकर कोई कुछ भी कहे लेकिन अपने राम का कहना तो यही है कि बैठी भैंसों में लट्ठ दोगे तो वो तो रम्हायेंगी ही ।

टाइगर का चुनावी यू टर्न

इन दिनों टाईगर चर्चा में हैं। पहले पोहरी में टाइगर चुनाव लडऩे की गरज से दहाड़े मगर वहां एक ही सीट पर चाचा भतीजा की जोड़ी ने उनका खेल खराब कर दिया, स्थिति यह बनी की टाइगर ने शिवपुरी की ओर रुख कर लिया और टिकट के लिए फील्डिंग की जमावट शुरू की ही थी कि यहां भी चाचा के साथ भतीजा एक्सप्रेस चल पड़ी । चचा टाइगर तो भतीजे शेर की तर्ज पर यह इलेक्शन सर्कस यहां भी चर्चा में आ गया। अब लोग कहने से नहीं चूक रहे कि चचा जान पहले घर में ही सरोदा बना लेते तब दहाड़ लगाते। अपने राम का तो यह गुनगुनाने को मन कर रहा है कि तेरा पीछा न छोडूंगा सोनिए, भेज दे चाहे …में।

इलेक्शन कमिशन में फंसा पिछोर का पैंच

चुनाव में गड़े मुर्दे उखड़ते हैं जिसको अपनी फक्का फजीहत करानी हो वह इलेक्शन में खड़ा हो जाए फिर देखिए तमाशा। इस पर तो नेताजी खुद ही अपनी कर्म कुंडली गांव गांव गाते फिर रहे हैं, कि हम पर पूरे 65 केस हैं। या तो फिल्म शोले में गब्बर सिंह को खुद के बारे में सांभा से इनाम पूछते देखा था, या फिर यहां इनको गाते सुना है। नेताजी का गीत सुनकर किसी ने उनकी पूरी राम गाथा चुनाव आयोग को मय इलेक्शन क्लॉज के भेज दी और अब इलेक्शन कमिशन एक्शन मोड में आ गया है। नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू होते ही यह मामला क्या कुछ टर्न लेगा इसे लेकर अब कयासों का बाजार सरगर्म हो गया है। इसे कहते हैं आ बैल मुझे मार…।

हाथी मचाएगा हलचल, करेगा गेम खराब

पोहरी को आसान सीट समझ कर चल रही दोनों ही पार्टियों के लिए हाथी ने बड़ी रुकावट पैदा कर दी है। सुना है कांग्रेस से टिकट के लिए आस लगाए बैठे बछोरा हाथी पर सवार हो रहे हैं और स्थिति यह बन गई है कि यदि भाजपा किसी धाकड़ को टिकट देती है तो इनके बीच वोट डीवाईडेशन तय है, ऐसे में जबकि कैलाश कुशवाहा कांग्रेस से मैदान में है और बछौरा बसपा से आते हैं तो फिर चांस भाजपा से किसी पंडित के भी बन सकते हैं लेकिन तब तक के लिए थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए।

गुंडागर्दी का चुनावी फुन्तुडूं

पिछले लंबे समय से शिवपुरी विधानसभा की यही कहानी हर चुनाव में दोहराई जाती है। कहानी कुछ ऐसी है कि राजशाही को छोड़कर किसी अन्य उम्मीदवार को टिकट दिया और वो जीता तो शिवपुरी में अमन चैन छिन जाएगा, गुंडागर्दी हावी हो जाएगी। यह अफवाह बाजार में प्री प्लांड तरीके से उड़ाई जाती है। मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटे हैं, शिवपुरी के इस गणित के लिहाज से तो प्रदेश की शेष सीटें जहां राजशाही नहीं हैं, ऐसी 229 सीटों पर अराजकता और गुंडागर्दी ही छाई हुई रहना चाहिए थी, लेकिन ऐसा कदापि नहीं है। यह 229 विधानसभा सीट्स भी शांत और विकास के माहौल में सरवाइव कर रही हैं। ऐसे में शिवपुरी के बाजार में अफवाहों के छर्रे छोडऩे वालों से कम से कम प्रति प्रश्न तो किया ही जा सकता है।

चाटुकार मंडली ने किया खेल चौपट

दोहा पुराना है लेकिन सार्थक आज भी उतना ही है जितना कल था, दोहा कुछ इस तरह हैनिंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छबाए बिन पानी साबुन बिना निर्मल करें सुभाए। लेकिन यहां निंदक तो छोडि़ए सही बात भी जब कानों को नहीं पच रही हो और ठकुरसुहाती ही सुनना हो, तो कोई बावरा ही होगा जो सही बात बोलने की हिम्मत करेगा। इसका नतीजा यह हुआ कि चाटुकारों की चौकड़ी ने ऐसा घेरा डाला कि सारी मेहनत मटियामेट कर डाली। अपने गोसाई जी रामचरित मानस में पहले ही कह गए हैं कि-

सचिव,वैध,गुरु तीन जो प्रिय बोलहि भय आस।राज, धर्म, तन तीन कर होइ बेगहीं नास।।

जहां कनफू सिये और चाटुकारों का ही बोलवाला हो वहां परिणाम यही होता है।

पत्ता कट या पत्ता फिट?

हाथी कोठी वाले कहो या पत्तेवाले कहो इनके पत्ते चुनावी हवा में तितर वितर से होते नजर आ रहे हैं। हाथ से मनाही के बाद नेताजी हाथी पर सरकने का मन बना रहे हैं। देखिए क्या संयोग है कि कोठी के गेट पर दो हाथी पहले ही बनवा कर खड़े कर चुके नेताजी ने कभी सोचा न होगा कि जो सिम्बल बनवाया है किसी दिन इसी पर सवारी गांठने की सोचना पड़ेगा। मूड तो फुल है मगर संभावना जटिल है नतीजतन नेताजी सोच बिचार में हैं वैसे अपने राम का कहना तो यही है कि सब्र का फल मीठा होता है हाथी न चढ़ो आगे फ्यूचर ब्राईट होगा।

Share this article >
Rahil Sharma
Rahil Sharma
Articles: 95

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from बेचैन नज़र

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading