शिवपुरी BJP में सर्वाधिक कलह का वातावरण

  • सत्तादल में बढ़ती जा रही दलबदल की टैंशन, तार तार बिखराव से बिगड़े हालात

प्रदेश में सत्तादल में सर्वाधिक भगदड़ यदि किसी जिले में मची है वह है शिवपुरी जिला जहां एक के बाद एक BJP नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। शिवपुरी जिले में भाजपा में बिखराव ने चुनाव पूर्व बड़े ही गम्भीर हालात निर्मित कर दिए हैं। यहां भाजपा की स्थिति यह हो गई है कि पार्टी संगठन एकदम से चुप है, या यूं कहें कि सन्निपात की स्थिति में है कि वह करे भी तो क्या करे क्योंकि ऊपर तक भी मामला ठण्डा है।

यहां के हालातों के मद्देनजर अभी तो और बिखराब के संकेत मिल रहे हैं। अब तक के परिदृश्य पर गौर करें तो जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक के संगठन ने यहां डैमेज कण्ट्रोल के प्रयास किए ही नहीं, यही कारण रहा कि एक एक कर न केवल आयातित सिंधिया समर्थक पार्टी छोड़ गए बल्कि भाजपा के मूल कार्यकर्ता और पदाधिकारियों से लेकर विधायक तक कौग्रेस में जा मिले। किसी एक के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई पार्टी संगठन नहीं कर पाया, बल्कि जो गए वे त्याग पत्र फेंक कर गए।

आपस में ही भिड़ रहे नेता मंत्री और कार्यकर्ता

सात सात मंत्रियों वाले इस जिले में BJP कई गुटों में बटी है, सबके अपने अपने आका हैं। कोई नेता दूसरे को फूटी आंखों पसंद नहीं कर रहा। एक मंत्री दूसरे मंत्री की कार्यप्रणाली पर सार्वजनिक मंच से सवाल खड़े कर रहा है। पिछले दिनों राज्य मंत्री सुरेश रांठखेड़ा के क्रियाकलापों पर मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेन्द्र बिरथरे ने खुलकर सवाल खड़े किए। आपस की टांग खिंचाई का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि घर की लड़ाई अब मीडिया और सोशल मीडिया में लड़ी जा रही है। यहां शिवपुरी विधानसभा में जो हालात हैंं उसमें अब भाजपा शासित नगर पालिका में खुलेआम बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं।

BJP पार्षदों का ही एक बड़ा वर्ग जो अपने ही शासन काल में कामकाज की उम्मीद लगाए हुए था, उनकी हालत यह हो गई है कि वे कभी नपाध्यक्ष पर गलत बर्ताव और व्यवहार का आरोप लगाते हुए त्यागपत्र फेंकने की चेतावनी दे रहे हैं, तो कभी पार्षदों का एक वर्ग भाजपा के ही पदाधिकारियों के कार्य व्यवहार से नाराजगी की मुद्रा में खड़ा होकर शिकायत कर रहा है। पिछले दिनों ऐसा हो चुका है, कई भाजपा पार्षद असुनवाई का आरोप लगाते हुए पद छोडऩे और सदस्यता त्यागने की बात अखबारों से लेकर सोशल मीडिया में तक उछालने से नहीं चूके । इनका दर्द यह है कि उनके कहने पर वार्ड में साफ सफाई तक नहीं हो रही और एक खम्बे पर बल्व तक टंगवाने की हैसियत अब नहीं बची है।

यहां सांसद प्रतिनिधि रामजी व्यास रोजाना अपनी व्यथा सोशल मीडिया पर शेयर कर नपा की कार्यशैली की बखिया उधेडऩे में बेनागा जुटे हैं। दरअसल ये हालात इसलिए बने हैं कि यहां कुछ कनफुसियों और चापलूसों ने धरातल के हालातों से हटकर नेताओं को अपने अपने हितों के अनुसार कुछ तो भी फीडिग़ दे दे कर माहौल को कलुषित कर डाला है। एक स्क्रीन शॉट मण्डली का काम केवल अपने ही लोगों की जासूसी करना रह गया है। इसके पीछे वे चेहरे भी हैं जो खुद सामने न आकर दूसरों के जरिए फैलारा फैलवाने मेें जुटे हैं।

जिले के अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में आम कार्यकर्ता की नेताओं से जहां लगातार दूरियां बनी रहीं वहीं अब चुनावों के समय भी कार्यकर्ता की हैसियत सिर्फ नारे लगाने और भीड़ का सामान बनाने तक सीमित दिखाई दे रही है। जिसके चलते कार्यकर्ता भी दुखी बैठा है।

कोलारस विधानसभा क्षेत्र में भाजपाई आपस में ही जिस तरह से आमने सामने हो रहे थे उसकी परिणति विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के भाजपा छोडऩे के तौर पर सामने आई। जितेन्द्र जैन गोटू जैसे मूल भाजपाई भी कौंग्रेस में जा पहुंचे। यहां बैजनाथ यादव जैसे सिंधिया समर्थक भाजपाई पहले ही पाला बदल कर कौंग्रेस ज्वाईन कर चुके हैं। धैयवर्धन जैसे प्रखर नेता भी पार्टी के नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल दाग रहे हैं मगर इन सबकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह हो कर रह गई है जिसे सुनने की फुर्सत किसी को नहीं।

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Aarav Kanha
Aarav Kanha
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