भौंती थाना क्षेत्र के ग्राम मुहार में नाबालिग आदिवासी बच्चे के अपहरण की कहानी झूठी निकली है। पुलिस की जांच में पता चला है कि यह अपहरण एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत किया गया था। षड्यंत्र के पीछे एक पिछोर से चुनाव में दावेदारी करने वाले एक अपराधिक रिकार्ड के नेता ने इस साजिश को रचने में संदिग्ध भूमिका निभाई थी जिसकी कलई अब पुलिस विवेचना के बाद खुल गई है।
उल्लेखनीय है कि 7 वर्षीय आशिक पुत्र जालिम आदिवासी 28-29 अगस्त की रात रहस्यमय ढंग से घर से गायब हो गया था। इसके बाद उसके पिता जालिम आदिवासी ने भौंती थाने में अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई। परिजनों ने गांव के ही दो युवकों अभिषेक जाटव और धर्मेंद्र जाटव पर अपहरण का आरोप लगाया। जिससे जाटव और आदिवासी समाज के बीच वैमन्यस्य के हालात बनते दिखाई दे रहे थे।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और 1 सितंबर को बच्चे को उसके मौसा के घर से बरामद कर लिया। पुलिस पूछताछ में बच्चे ने बताया कि वह अपने मौसा के घर गया था और वहां से नहीं आया था। बच्चे के पिता जालिम आदिवासी ने भी पुलिस को बताया कि उन्हें अपहरण की इस कहानी रचने के लिए पैसे दिए गए थे। पुलिस के अनुसार मामले की जांच में पता चला है कि यह अपहरण एक षड्यंत्र के तहत किया गया था।
सूत्रों का कहना है कि इस षड्यंत्र के पीछे एक नेता की संदिग्ध भूमिका चर्चा में सामने आ रही है,जो पिछोर विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी जता रहा है। जिसके लिए उसने अपहरण की कहानी रचकर आदिवासी समाज से वोटों की सहानुभूति लेने के लिए बच्चे के पिता को पैसों का लालच देकर और जाटव समाज व आदिवासी समाज के बीच संघर्ष कराकर वर्तमान विधायक के वोटों में सेंध लगाई जा सके।
कथित तौर पर इसी नेता ने आदिवासी समाज से वोटों की सहानुभूति लेने के लिए बच्चे के पिता को पैसे का लालच दिया था। इस घटना के माध्यम से जाटव समाज से बदला लेने की मंशा का खुलासा हो रहा है। पुलिस ने इस मामले में संबंधित लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस मामले की आगे की जांच कर रही है।