Shivpuri News – शिवपुरी की सियासत में सितम्बर के सात दिन सरगर्मी भरे होने की संभावना

भाजपा की टूटन के बीच काँग्रेस का फीलगुड भी शंकाओं से अछूता नहीं

Shivpuri विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल अब खासी गर्माहट पकड़ चुका है। राजनेताओं का दल बदल और खेमों का ध्रुवीकरण भी तेज हो गया है। यदि बीच के डेढ़ वर्ष को छोड़ दें तो पिछले 20 साल से सत्ता में रही भारतीय जनता पार्टी के लिए यह चुनाव बेहद जद्दोजहद और चुनौती से भरा है। जनता का मूड देखकर स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि एंटी इनकंबेंसी फैक्टर बुरी तरह हावी है। जहां तक कि ठेठ चुनावी समय में की गई सीएम की लोक लुभावन घोषणाओं का भी कोई खास असर धरातल पर फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा। शिवपुरी जिले की शिवपुरी सहित अन्य सभी सीटों पर देखें तो जो मतदाता पहले कभी अपने मन की थाह बार बार पूछे जाने पर भी नहीं देता था, वही मतदाता इस बार चुनाव से पहले ही मुखर होकर खुलेआम अपना मत व्यक्त करने से नहीं चूक रहा। पिछोर में तो दोनों दलों के प्रत्याशी तय हैं यहां काँग्रेस की ओर से औपचारिक घोषणा भर होनी है जबकि भाजपा प्रत्याशी तय कर चुकी है। प्रदेश की लगभग सभी सीटों पर मुख्य मुकाबला काँग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच होना है, ऐसे में अन्य दलों की भूमिका को समीक्षा में रखे जाने की फिलहाल कोई वजह नजर नहीं आ रही। बहुजन समाज पार्टी न केवल प्रदेश में बल्कि पूरे देश में ही इस समय आश्चर्य जनक ढंग साइलेंट मोड में है, यही कारण है कि उसका जमीनी आधार खिसक चुका है। ऐसे में वह कुछ सीटों पर सिवाय वोट कटवा की भूमिका के अलावा और कुछ अधिक हासिल कर पाने की स्थिति में नजर नहीं आ रही। समाजवादी पार्टी और आप पार्टी की स्टैंडिंग भी नगण्य है। भाजपा के लिए इस समय सबसे बड़ा संकट ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के पार्टी में विलय के निर्णय का दिखाई दे रहा है,जिसके कारण पार्टी का अपना कॉडर भी भारी नाराजगी की मुद्रा में है और रही बात सिंधिया खेमे की तो वह भी इतनी जल्दी

फांक-फांक बिखर कर छिन्न भिन्न हो जाएगा इसका अनुमान खुद सिंधिया ने भी नहीं लगाया होगा। भाजपा में हो रही इस टूटन का बड़ा कारण सत्ता के लिए भाजपा का कांग्रेसीकरण किया जाना रहा है, जिसके कारण पार्टी का मूल कार्यकर्ता सिरे से उपेक्षित कर दिया गया। यहां पुराने और बड़े नेताओं को साइड लाइन कर नवागतों को जिस तरह से सिर माथे पर बिठाया गया उसके साइड इफेक्ट अब विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सामने आ रहे हैं। कॉडर की नाराजगी ने पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गजों के पसीने छुड़ा रखे हैं। हालत यह है कि सर्वे की चौंकाने वाली रिपोर्ट्स के बीच कई दिग्गज मंत्री तक टिकट खोने की आशंका से ग्रसित दिखाई देने लगे हैं। हालांकि काँग्रेस इस समय भाजपा की इस उहापोह के विपरीत फील गुड में है मगर यहां भी उधार के सिंदूर से भरी जाने वाली मांग को काँग्रेस का मूल कार्यकर्ता कितना आत्मसात कर पाएगा इसका पता टिकटावंटन के समय चलेगा। भाजपा छोड़कर ऐन समय पर काँग्रेस में आए सिंधिया समर्थकों को यहां कांग्रेस का एक धड़ा शंका की नजर से देख रहा है, इनका स्पष्ट कहना है कि यदि आयातितों को टिकट दिया और ये जीते भी तो फिर से ये सिंधिया कैंप में नहीं जाएंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं। कुछ काँग्रेसी इसे सिंधिया खेमे की प्रायोजित रणनीति का हिस्सा तक बताने से नहीं चूक रहे। बहरहाल इन सब शंका कुशंकाओं के बीच यह निर्विवाद सच्चाई है कि काँग्रेस में न केवल सिंधिया समर्थक बल्कि गैर राजनैतिक चेहरे भी शामिल होने की राह तलाश रहे हैं। सूत्रों की माने तो आने वाला एक सप्ताह काँग्रेस के लिए जहां और उपलब्धिकारक हो सकता है वहीं भाजपा के लिए एक और झटका लग सकता है। यहां भाजपा के कुछ बड़े दिग्गजों के क्षेत्र छोड़कर अन्यंत्र जाने की संभावना भी प्रबल हो गई है। कुल मिलाकर सितम्बर का पहला सप्ताह बड़ा सरगर्मी भरा होगा।

भाजपा काँग्रेस से पहले हारी हुई सीटों पर 39 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है हालांकि उसका यह दांव कुछ सीटों पर उल्टा पड़ा है क्योंकि विरोध शुरु हो गया है। उधर काँग्रेस के सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक रक्षा बंधन के बाद 2 सितंबर को भोपाल में होगी। इसमें प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला भी मौजूद रहेंगे। बैठक में पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट पर तैयार पैनल पर मंथन किया जाएगा। माना जा रहा है कि काँग्रेस सितंबर में 100 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर देगी। इनमें से 50 से लगभग उम्मीदवारों की पहली लिस्ट मध्य सितंबर से पहले जारी हो सकती है।

Share this article >
Rahil Sharma
Rahil Sharma
Articles: 95

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from बेचैन नज़र

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading