जांच में देरी से अटकी पटवारी भर्ती

Shivpuri News - पटवारी भर्ती परीक्षा का परिणाम आते ही विवादों में आने के बाद इस भर्ती की जांच की जा रही है।

Shivpuri News – पटवारी भर्ती परीक्षा का परिणाम आते ही विवादों में आने के बाद इस भर्ती की जांच की जा रही है। जांच की गति इतनी धीमी है कि अभी महज 15 जिलों में हुई भर्ती परीक्षा के मामले में 15 जिलों की ही शिकायतें सुनी जा सकी हैं। इस भर्ती के लिए कुल 52 जिलों में भर्ती परीक्षा कराई गई थी, जिसकी वजह से अभी भी शेष 37 जिलों में शिकायतों की सुनवाई की जानी है।

दरअसल मध्यप्रदेश में विवादों में आने के बाद ग्रुप -2, सब ग्रुप-4 एवं पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच चल रही है। एक ही सेंटर के अभ्यर्थी मैरिट में आने के बाद इस परीक्षा को लेकर कई आरोप लगे, प्रदर्शन भी हुए। जिसके बाद 13 जुलाई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भर्ती परीक्षा पर रोक लगाते हुए जांच के आदेश दिए थे। जांच 31 अगस्त तक होने की बात कही थी, लेकिन अब इसमें विलंब हो सकता है। दरअसल सप्ताह में सिर्फ 10 जिलों की शिकायतें सुनी जा रही है। अभी तक सिर्फ 15 जिलों की शिकायतें सुनी गई है, 37 जिले रह गए हैं। ऐसी स्थिति में जांच की यदि यही गति रही तो इसे पूरा होने में दो सप्ताह का अतिरिक्त समय लग सकता है।

कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से आयोजित ग्रुप -2, सब ग्रुप-4 और पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच के लिये उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज राजेन्द्र कुमार वर्मा को नियुक्त किया गया है। वे जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान यानी वाल्मी में शिकायतों को सुन रहे हैं। जांच में उक्त परीक्षा से संबंधित शिकायतों एवं जांच के दौरान सामने आ रहे अन्य सभी बिंदुओं पर भी जांच हो रही है। अभी सप्ताह में दो दिन शिकायतकर्ताओं को बुलाया जा रहा है।

8600 चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्तियों का इंतजार

पटवारी भर्ती परीक्षा के विवादों में आने के बाद इसकी नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लग गई है। 8600 चयनित अभ्यर्थी अपने नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। यदि जांच में देरी होती है तो उनका यह इंतजार और लंबा खिंच सकता है। अभ्यर्थियों ने शिकायतें की है कि सितंबर तक हमें नियुक्ति दे दी जाए। शासन चाहे तो हमसे शपथ पत्र ले ले, यदि जांच में हम दोषी मिलते हैं तो हमारी नियुक्ति कैंसिल कर हमें जेल भेज दे, लेकिन कुछ लोगों की सजा सभी निर्दोषों को नहीं देनी चाहिए।

विकलांग कोटे में भी धांधली के आरोप

वही दूसरा मामला विकलांग कोटे में गड़बड़ी का भी है। मुरैना जिले की जौरा तहसील के 16 विकलांगों का चयन हुआ है और इन सबके सरनेम त्यागी हैं। इस परीक्षा में 9073 पदों में से 6 प्रतिशत यानी 405 पद विकलांगों के लिए आरक्षित थे। परीक्षा परिणाम में एक चौंकाने वाली बात ये भी है कि कानों से दिव्यांग अभ्यर्थियों की सूची में जिन लोगों का चयन किया गया है, उनमें से 80 प्रतिशत मुरैना जिले से ही हैं।

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Parag Batham
Parag Batham
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