- पत्थर खदान माफियाओं के सामने असहाय प्रशासन, सहा कलेक्टर की रिपोर्ट दबाई
- एलएनटी से लेकर हर स्तर के प्रमाणों वाली रिपोर्ट को प्रशासन ने छुपाया- डोगरी में अवैध खनन को खुला संरक्षण
जिले में इस कदर अंधेरगर्दी चल रही है कि जहां देखो वहां मनमानी का आलम है। नेताओं से लेकर अधिकारी तक चुनाव से ठीक पहले एक सूत्रीय जेब भराई में दम से लगे हुए हैं। डोंगरी के माइनिंग सेक्टर में धुआंधार अवैध पत्थर खनन हो रहा है, और इसे प्रशासनिक स्तर पर इस हद तक संरक्षण दिया जा रहा है कि जिन खदानों के विरुद्ध खुद प्रशासन के आला अधिकारी ही विपरीत रिपोर्ट देकर गए रिपोर्ट्स को ही ताक पर रखकर अवैध खदानें चलबाई जा रही है।
जिन खदानों के संबंध में जांच के दौरान सब कुछ सही पाया गया उन खदानों को ईटीपी देना ही बंद कर दिया गया, जबकि जिन खदानों में अवैध खनन पाया गया उनके संचालन को ईटीपी और जारी कर अवैधानिकता को आपराधिक अंदाज में प्रश्रय दिया गया जो गम्भीर स्थिति है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है ग्राम डोंगरी तहसील शिवपुरी के सर्वे नंबर 212 रकबा 2 हेक्टेयर क्षेत्र में फ रसी पत्थर पट्टा 10 वर्ष के लिए वर्ष 2019 से वर्ष 2029 तक अनुबंध था इस स्थान के संबंध में एक शिकायत की गई और उसे शिकायत के आधार पर खदान की ईटीपी 17 फरवरी 2023 से बिना किसी सूचना के बंद कर दी गई जबकि जांच रिपोर्ट में यहां अवैध खनन पाया ही नहीं गया। अब देखें अन्य खदानों की स्थिति तो जब मामले ने तूल पकड़ा तो शिवपुरी के असिस्टेंट कलेक्टर श्री शाह को कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए जिसके क्रम में श्री शाह ने जांच कर 20 फरवरी 2023 को एक जांच प्रतिवेदन कार्रवाई हेतु डीएम को प्रेषित किया। जांच प्रतिवेदन में बाबा कट स्टोन नामक खदान लीज वाले एरिया में भारी मात्रा में अवैध खनन होना बताते हुए स्वीकृत क्षेत्र से बाहर गड्ढे एवं स्वीकृत नंबर पर मुनारे ना बने होना जांच में स्पष्ट रूप से लिखा गया।
संयुक्त कलेक्टर के इस पत्र को खनिज एवं राजस्व विभाग के कर्ताधर्ताओं ने साइड लाइन कर दिया। यदि इस मामले के तथ्यों को देखें तो 17 फरवरी 2023 को बने पंचनामा एवं सहायक कलेक्टर के संयुक्त जांच दल के प्रतिवेदन के अनुसार बाबा कट स्टोन कंपनी एवं नरेश गुर्जर की खदानें अवैध खनन के लिए सीधे-सीधे उत्तरदाई ठहराई गई है, लेकिन तब से अब तक छह माह बाद भी बाबा कट स्टोन कंपनी व अन्य के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाकर वहां धुआंधार अवैध उत्खनन कराया जा रहा है। हालत यह है कि करीब डेढ़ से दो माह से खदान में पानी भरा होने के बावजूद ईटीपी जारी किए जा रहे हैं।
- मौके पर एलएनटी के बकेट और तैयार फर्शी पत्थर, स्वीकृत क्षेत्र में झाड़ी खड़ी मिली
- चौकाने वाले जांच प्रतिवेदन को ही दबा दिया
सहायक कलेक्टर श्री शाह ने ग्राम डोंगरी स्थित शिव मंदिर के पास की शासकीय भूमि के सर्वे क्रमांक 425 रकवा 36 हेक्टर में सर्वे नम्बर 426 रखवा 72.6 हेक्टर और सर्वे नंबर 213 रकबा 18.15 हेक्टेयर के हिस्सों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन होने के प्रमाण पाया जाना उल्लेखित किया गया। जांच दल को मौके पर मजदूरों के सूखते हुए कपड़े, बर्तन, लोहे के बक्से, पत्थर निकालने के औजार और तैयार शुदा लगभग 1000 फ रसी पत्थर भी वहां मिला। मौके पर खदानों से पानी निकालने के उपकरण एवं पाइप भी पाए गए। माइनिंग इंस्पेक्टर ने बताया कि वहां पूर्व में 8 से 10 वर्ष पूर्व लीज थी, परंतु वर्तमान में कोई लीज नहीं है। खनन का स्तर विस्तृत है, और मजदूरों के रहने के लिए पास में ही स्थाई घरों का निर्माण भी पाया गया। इस खनन की वजह से बीच में स्थित शंकर जी के मंदिर के ढह जाने का गंभीर खतरा भी जांच रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया। पट्टाधारी नरेश सिंह गुर्जर पुत्र हरिकंठ सिंह गुर्जर निवासी ग्वालियर को ग्राम डोंगरी स्थित सर्वे नंबर 236 रखवा 2.3 हेक्टेयर में से 1.01 हेक्टेयर का खनिज उत्खनन हेतु पट्टा दिया जाना बताया गया।
मौका जांच में पटवारी द्वारा नक्शा मिलान किया गया जिसमें पाया गया कि पाटीदार नरेश सिंह गुर्जर द्वारा उक्त सर्वे नंबर में उत्खनन ना किया जाकर डोंगरी स्थित शासकीय सर्वे नंबर 214 में उत्खनन किया जा रहा है। खदान लीज धारी नरेश सिंह गुर्जर द्वारा मौके पर बताया गया कि मुझे पटवारी एवं खनिज विभाग द्वारा यही भूमि बताई गई थी, लेकिन मौके पर कोई साक्ष्य प्रस्तुत करने में वह असमर्थ रहा।
सहायक कलेक्टर शाह ने अपनी जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि ग्राम डोंगरी स्थित सर्वे नंबर 236 रकवा 1.10 हेक्टर की मौका स्थिति में पाया गया की मौके पर स्वीकृत भूमि पर झाड़ पाए गए। स्वीकृत एरिया में खनन हो ही नहीं रहा था। फिर भी टीपी जारी हो रहे थे। माइनिंग ऑफि सर द्वारा भूमि का पुन सत्यापन नहीं किया गया और ना ही निरीक्षण किया गया।
इस जांच रिपोर्ट में असिस्टेंट कलेक्टर ने मै बाबा कट स्टोन के संचालक को ग्राम डोंगरी स्थित निजी भूमि सर्वे नंबर 219 रखवा 1.007 हेक्टर सर्वे नंबर 217 रकवा 0.59 हेक्टेयर, रखवा 1.66 हेक्टेयर में से एक हेक्टेयर का खनिज पट्टा दिया गया बताया गया। मौके पर स्वीकृत खदान के स्पष्ट मुनारे तक नहीं पाए गए। पट्टेदार द्वारा स्वीकृत नक्शे के बाहर जाकर जबरदस्त पैमाने पर उत्खनन किया जाना पाया गया।
खान अधिनियम का उल्लंघन मिला
खुदाई एवं खान अधिनियम के तहत खनन उच्चतम बिंदु से निम्नतम बिंदु के 0.5 मीटर की गहराई तक ही हो सकता है इस नियम का माइनिंग ऑफि सर और माइनिंग इंस्पेक्टर द्वारा पालन नहीं कराया जाना पाया गया। प्रथम दृष्टया खदान की गहराई 6 मीटर से अधिक पाई गई। इसी जांच प्रतिवेदन में निजी सर्वे नंबर 225 रकवा 1.022 हेक्टेयर सर्वे नंबर 218 रकबा 0.95 हैकटेयर में सर्वे नंबर 223 रखवा 0.70 हेक्टेयर में अवैध उत्खननित गड्डे गए व तैयार फ रसी पत्थर भी जांच दल को मौके पर मिला। प्रतिवेदन में तत्कालीन माइनिंग ऑफिसर द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं किया जाना बताया गया।
खदान निरस्ती को पत्र लिख चुका है वन विभाग
यहां बता दें कि डीएफ ओ के द्वारा पूर्व में भी उक्त तीनों खदानों को निरस्त करने का पत्र क्रमांक 2022/ 5782/ 15 दिसंबर 2022 को भेजा गया था उसके बावजूद भी खदानों की लीज निरस्ती संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जांच दल ने स्पष्ट रूप से अपनी टीप दी जिसमें कहा गया कि स्वीकृत खदानों की सीमाओं का माइनिंग अधिकारी द्वारा कोई सत्यापन नहीं कराया गया, न हीं स्थाई मुनारे बनवाए गए। खुदाई खान अधिनियम का भी यहां उल्लंघन होना पाया गया। मौके पर एक एलएनटी मशीन का बकेट और एक ट्रैक्टर से पानी निकलने वाला पंखा भी 17 फ रवरी 2023 को जप्त किया जाकर पुलिस थाना सतनवाड़ा के रिपोर्ट किया जाना भी बताया गया लेकिन मौके पर मिले फ रसी पत्थर की जब्ती मीनिंग द्वारा नहीं की गई।
ड्रोन सर्वे के सुझाव के बाद गम्भीर सवाल खड़े हुए
सहायक कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में माइनिंग विभाग की करगुजारियों पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। सहायक कलेक्टर ने अपने 20 फ रवरी के प्रतिवेदन में पूरे इलाके का ड्रोन सर्वे कराया जाकर सर्वे दिनांक से डाटा को रिकॉर्ड में रखे जाने का उल्लेख किया गया है। अवैध उत्खनन क्षेत्र में प्रभावी कार्रवाई किए जाने माइनिंग ऑफिसर से हर 15 दिन में ड्रोन सर्वे की फुटेज और तस्वीरें कलेक्टर को भेजी जाना सुनिश्चित करने, मौके पर मुनारे स्थापित कराए जाने तथा नियमित समय अंतराल में राजस्व विभाग के साथ निरीक्षण कर खदानों की स्थिति का जायजा लिए जाने और अवैध उत्खनन पर तुरंत कार्रवाई हेतु एक पुलिस टीम गठित किए जाने संबंधी सुझाव भी दिए। बताया जाता है कि इस जांच प्रतिवेदन को कार्रवाई की जद में लेना प्रशासन ने मुनासिब नहीं समझा और इस प्रतिवेदन को खदान माफियाओं के दबाव में ठण्डे बस्ते कर दिया गया है। अवैध खदानों में पत्थर का अवैध खनन जोरों से आज भी जारी है ।